मुंबई: मेयर पद
के चुनाव में
शिवसेना को समर्थन
देने के मुद्दे
पर कांग्रेस में
राय बंटती नजर
आ रही है.
महाराष्ट्र कांग्रेस से बड़े
नेता और पूर्व
सांसद गुरुदास कामत
ने बयान जारी
कर कहा है
कि कांग्रेस को
किसी भी हालत
में शिवसेना का
साथ नहीं देना
चाहिए वरना जनता
कभी भी कांग्रेस
को नहीं बख्शेगी.
पहले कांग्रेस की तरफ
से शर्त की
बात सामने आई
थी. कहा गया
था कि जबतक
शिवसेना बीजेपी के साथ
सरकार में शामिल
है, तब तक
उसे समर्थन देने
पर कोई विचार
नहीं होगा. लेकिन
एक बात तो
तय है कि
अगर शिवसेना और
बीजेपी का गठबंधन
नहीं होता है
तो बिना कांग्रेस
के समर्थन के
बगैर बीएमसी में
मेयर नहीं बन
सकता.
बीजेपी से हट
कर सिर्फ एक
ही समीकरण दिखता
है कि शिवसेना,
कांग्रेस से हाथ
मिला ले. अब
सवाल ये है
कि क्या ऐसा
हो सकता है,
क्या वैचारिक मतभेद
वाली दो पार्टियां
एक हो सकती
हैं? अगर दोनों
पार्टियां एक हो
जाती हैं तो
इसके मायने क्या
होंगे?
बीएमसी चुनाव में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है. हालांकि, शिवसेना सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी है, लेकिन दूसरे नंबर पर रही बीजेपी भी सीटों के मामले में शिवसेना के करीब ही है. 227
सीटों वाली बीएमसी में शिवसेना को
84, बीजेपी को
82, कांग्रेस 31, एनसीपी को 7 और एमएनएस को 7 सीटें मिली हैं. बहुमत का आंकड़ा
114 होता है. अब तक जोड़ तोड़ में 4 पार्षद शिवसेना और एक पार्षद बीजेपी के साथ जाने का एलान किया है.
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