मीरा रोड -ठाणे -पालघर : इंटरनॅशनल सोसायटी ऑफ नेफ्रोलॉजि व इंटरनॅशनल फेडरेशन ऑफ किडनी फाऊंडेशन की तरफ से विश्व में गुर्दे की बिमारियों की जागरूकता बताने हेतु मार्च महीने मे दूसरे सप्ताह के गुरुवार को विश्व गुर्दा दिन मनाया जाता है।
उपलब्ध जानकारी के अनुसार गुर्दे की बिमारियों से बाधित लोगो की संख्या कुल जनसख्या के २०-२५% है। मधुमेह और उच्च रक्तचाप मे तेजी से बढ़ता दर गुर्दे की विफलता करता है। हालही मे प्रसिद्ध हुए राष्ट्रीय शोध के आधार पर मधुमेह यह किडनी की विफलता(कुल रुग्ण मे ४१%) का प्रमुख कारण है।
बदलते समय पर भारत मे गुर्दा प्रत्यारोपण की प्रक्रिया मे वृद्धि हो रही है। मुंबई , नवी मुंबई, ठाणे, रायगड व पालघर मे आरोग्य चिकित्सा मे महत्व पूर्ण योगदान देने वाले वोक्हार्ट समूह के मीरा रोड स्तिथ वोक्हार्ट हॉस्पिटल मे अद्ययावत किडनी (गुर्दा )प्रत्यारोपण विभाग शुरू किया है और हालही मे २ यशस्वी प्रत्यारोपण चिकित्साए हुई है।
इस बारे मे अधिक जानकारी देते हुए वोक्हार्ट हॉस्पिटल के किडनी प्रत्यारोपण तज्ञ और सल्लागार डॉ. के महेश प्रसाद ने कहा, "गुर्दा बिमारियों के लिए मधुमेह, रक्तचाप, दर्द निवारक गोलिया या दवाओं के दुरुपयोग और अशुद्ध पानी का सेवन जिम्मेदार है और हर साल भारत मे ढाई लाख रुग्ण मे वृद्धि होती है। गलत दवाइया लेना या गुर्दे की बीमारियों के बाद अन्य उपचारो से अनेक रुग्णों की गुर्दे अक्षम हो रहे हैं। गुर्दा बिमारियों से छुटकारा पाने के लिए गुर्दा प्रत्यारोपण चिकित्सा यह एकमेव सही प्रक्रिया है और इस कारण रुग्ण की आयु रेखा २० वर्षो से बढ़ जाती है।
भारत मे सिर्फ २०% रुग्णों को उपचार करा सकते है और ५% से काम व्यक्ति पर गुर्दा प्रत्यारोपण चिकित्साए हो जाती है। अंग प्रत्यारोपण की प्रक्रिया मे वृद्धि करना आवश्यक है। वोक्हार्ट हॉस्पिटल मे शुरुआत कराइ गई किडनी प्रत्यारोपण विभाग मे अंतरराष्ट्रीय स्तर के आधुनिक सुविधाए है और रुग्ण या उनके रिश्तेदारो ने डायलासिस के आधार पर न रहते अंगदान की आंदोलनों मे भाग लेना चहिए।"
किडनी प्रत्यारोपण विभाग के बारे मे अधिक जानकारी देते हुए वोक्हार्ट हॉस्पिटल के केंद्र प्रमुख रवी हिरवाणी ने कहा," अंधेरी से सुरत के बिच किडनी बीमारी पर आधुनिक चिकित्सा तरीके सिर्फ मीरा रोड स्तिथ वोक्हार्ट हॉस्पिटल मे उपलब्ध है।
उपनगरों में हो रही वाहनों तथा जनसंख्या वृद्धि देखते यहाँ के रुग्णों को चिकित्सा उपचार हेतु मुंबई मे जाना जरुरी नहीं है और इस कारण समय की बचत हो जाती है। यह दो सफल प्रत्यारोपण चिकित्सा के बाद पालघर, सूरत, बड़ोदा और राजस्थान से रुग्णों के रिश्तेदारो ने हमारे हॉस्पिटल से संवाद किया और अगले ३ महीनो मे १५ से अधिक गुर्दे प्रत्यारोपण चिकित्साए होने वाली है।"
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