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पंचकर्म क्या है ? पंचकर्म की आवश्यकता क्युँ है ?


मुंबई में बोरीवली स्थित डॉ. पियूष सिकोत्रा को हालही में सर्वोत्कृष्ट डाक्टर आवार्ड से हैदराबाद में आंध्र प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री कोनिजेती राम्मय्या के हाथों से सम्मानित किया गया।







प्रकाश बांभरोलिया

पंचकर्म आयुर्वेद की विशिष्ट चिकित्सा पद्धति है जिस में पाँच कर्म अर्थात(वमन, विरेचन, बस्ति, नस्य, एवं रक्तमोक्षण)का समावेश होता है जीव शरीर का मूल आयुर्वेदानुसार दोष, धातु  एवं मल है और इनकी सम अवस्था में शरीर निरोगित अथवा प्राकृत रहता है और इनकी विषमता से शरीर में विभिन्न प्रकार के रोग उत्पन्न होते है जैसेकी डायाबिटिस, हृदय विकार, किडनी की बिमारी, जोंडो का विकार आदि।

शरीर तत्व विकृत होने का मूलकारण अन्न का ठीक से पचन ना होना है सद्यः व्यस्त जीवनशैली में मनुष्य का आहार और विहार, दोनो में दुर्लक्ष हो रहा है जिसके कारण शरीरस्त अग्नि भी विकृत हो रही है और परिणाम स्वरुप अन्न का अपाचित अवस्था में शरीर में पडा रहता है जिसे आयुर्वेद में आम कहते है आम अपर्याप्त पाचन का उत्पात है जिस में चिपचिपाहट और भारीपन यह गुण रहता है यह शरीर में विष की तरह हमारे उतकों को अथवा सिस्टम में हानी हुंचाता है और दीर्घकाल पश्चात रोग उत्पन्न करने में अपना योगदान देता है, जैसे की विष अगर हृदय में जाकर स्थित होता है तो हृदय रोंग, ब्लडप्रे जैसे असाध्य विकार उत्पन्न होता हैअगर जोडों में स्थित होता है तो जोडों का दर्द, सुजन आदि विकृति उत्पन्न होती है इसी प्रकार विष हां स्थित होगा हां विकार उत्पन्न करता है।

आयुर्वेद चिकित्सा प्रणाली में पंचकर्म के माध्यम से विभिन्न प्रकार के असाध्य रोगों का इलाज किया जाता है यह पध्दति दीर्घकालीन रोगों से मुक्ति दिलाने में अत्यंत लाभकारी है शरीर में संचित विषैले पधार्थों को विभीन्न पंचकर्म विधि से शरीर के बाहर निकालने में मदद करता है।

आयुर्वेद में कहा गया है की जो विकार औषधी से ठीक नहीं होता उसे पंचकर्मके माध्यम से ठीक किया जा सकता है। पंचकर्म का उपयोग केवल विकार से मुक्ति पाने के लिये हीं, बल्की अपने स्वास्थ्य का रक्षण एवं दीर्घायु प्राप्ति के लिये भी किया जाता है।

पंचकर्म चिकित्सा का लाभ
. शरीर में तीनों दोषों को संतुलि रखने में मदद करता है।
. शरीर ग्नि को व्यवस्थित करके विष को पचाने में मदद करता है।
. रोग प्रतिकारक क्षमता बढाता है।
. मधुमेह, जोडों के विकार, दमा आदि विकार में राहत मिलती है।
. इंद्रिय एवं मन संतुलि करके मानसि तनाव दूर करने में मदद करता है।
. स्मरणशक्ति बढाता है
. दीर्घायु प्राप्ति होती है और बुढापा देर से आता है।

मुंबईस्थित डॉ. पियू सिकोत्रा पिछले कई वर्षो से विभिन्न प्रकार के असाध्य रोगों को पंचकर्म के माध्यम से सफलतापूर्वक ठीक किया है वह त्वचा विकार एव जोडों के समस्या में कई वर्षो से संशोधन वं उपचार कर रहे है हालही में उन्हे सर्वोत्कृष्ट डाक्टर आवार्ड से हैदराबाद में आंध्र प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री कोनिजेती राम्मय्या के हाथों से सम्मानि किया गया है।

क्या आप कुछ पध्दति के तला में है जिससे आपको शरीर को वापस संतुलन में लाने की मदद मिलती है?  यदि आपने हाँ  कहा तो पंचकर्म आपके लिये एक अच्छा निजी रिट्रिट प्रोग्राम हो सकता है यदी आप एक नियुक्ति का समय निर्धारित करना चाहते है, तो कृपया +91 99675 77035 पर काँल करे,। हमें पंचकर्म के बारे में जानकारी देने में खुशी होगी और यह निर्धारित करने में मदद करेंगें की पंचकर्म या आयुर्वेद आपके लिये सही है या नहीं।
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2 comments:

  1. Frozen Sholder और जोडोंके दर्द मे ईलाज होगा क्या ?

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