वसई-ठाणे : हर साल
किडनी और यकृत
के विभिन्न रोगों से
पीड़ित लाखों रोगियों की
मौत हो जाती
है। इसके मुकाबले,
प्रत्यारोपण की संख्या
पांच प्रतिशत है,
अर्थात् तीन से
साढ़े तीन हजार।
हर वर्ष लाखों
लोग मात्र इस
वजह से मौत
के मुंह में
समा जाते हैं,
क्योंकि उन्हें कोई डोनर
नहीं मिल पाता.
हर साल सड़क
दुर्घटनाओं में एक
लाख ७० हजार
लोग अपना जीवन
खो देते हैं।
सड़क दुर्घटना के
घायल रोगियों में
७० प्रतिशत व्यक्ती मस्तिष्क
मृत (ब्रेन डेड
) होते जिनका अवयव प्रत्यारोपण
संभव है।
ऑर्गन
डोनेट करनेवालों की
कमी के चलते
यदि हम घायल व्यक्ति
के रिश्तेदारों को
अंगदान का महत्व
समजाते है तो
भारत अंगदान से
हम बहुत रोगीयोंकी
जान बचा सकते
है। ऐसीही एक समज
वसई के घायल
व्यक्ती के रिश्तेदारोंने
दिखाकर २ व्यक्ती
की जान बचाई
है।वसई के निवासी
गोपालन (78) को १२
सितंबर को पैदल
चलने के दौरान
एक साइकिल चालक
ने धड़क मारी
थी तभी उनके
सर में गहरी
चोट आयी थी।
वसई में एक
स्थानीय अस्पताल में भर्ती
होने के बाद,
उन्हें प्राथमिक उपचार दिया
गया था और
उन्हें आगे के
इलाज के लिए
वोक्हार्ट अस्पताल, मीरा रोड
में भर्ती कराया
गया था। वोक्हार्ट
अस्पताल में आधुनिक
चिकित्सा परीक्षण करते हुए,
डॉक्टर ने उसे
मस्तिष्क मृत (ब्रेन
डेड) घोषित कर दिया।
१४ सितंबर को, गोपालन
के परिवार ने
अंगदान करने का
फैसला किया। मिरा
रोड के वोक्हार्ट
अस्पताल में क्षेत्रीय
इम्प्लांटेशन सर्विस केंद्र के
मार्गदर्शन में और
प्रतीक्षा अवधि के
अनुसार १५ सितंबर को
वोकहार्ट अस्पताल में २
किडनी और यकृत
प्रत्यारोपण किया गया
।
इस बारे
में अधिक जानकारी
देते हुए वोक्हार्ट
हॉस्पिटल के किडनी
प्रत्यारोपण सर्जन डॉ. राजेश
कुमार ने कहा,
"मस्तिष्क मृत रोगी
दो मरीजों को
दो किडनी देकर
अपनी जिंदगी को
बचा सकते हैं,
लेकिन गोपालन की
उम्र को देखते
हुए उनके दोनों
गुर्दे एक व्यक्ति
को दिया गया।मालाड
में रह रहे ५० वर्षीय (पुरुष)
रोगी को किडनी
प्रत्यारोपित की गयी
,और अब उनका
स्वास्थ्य अच्छा है और
प्राकृतिक स्वरूप में पेशाब
की प्रक्रिया शुरू
हो चुकी है।
पिछले 3 सालों से यह
रुग्ण डायलिसिस पर
थे "
वोक्हार्ट हॉस्पिटलके लीवर प्रत्यारोपण
सर्जन डॉ. अनुराग
श्रीमाल ने कहा,
"मुंबई में एक ५६ वर्षीय (पुरुष)
रोगी को लिवर
प्रत्यारोपण किया गया
है, जो यकृत
की बीमारी से
ग्रस्त थे , गोपालन
की उम्र को
देखते हुए उनका
यकृत अच्छी हालत
में था।
हमारे हॉस्पिटल में उपलब्ध
अत्याधुनिक अंग प्रत्यारोपण
विभाग और अनुभवी
ट्रांसप्लान्ट सर्जन की वजह
से प्रत्यारोपण शल्य
चिकित्सा कामयाब हो गयी
है और दोनों
रोगियों की स्थिति
स्थिर है।वर्तमान में,
अंगदान की संख्या
में वृद्धि हुई
है। इस परिस्थिति
में परिवार की
सहमति बहुत महत्वपूर्ण
है, ताकि जागरूकता
के चलते हम
अधिक जिंदगी बचा
सके। गोपालन के
बेटे और रिश्तेदारों
के निर्णय ने
दो व्यक्तियोंको को
नया जीवन दिया
है, ऐसी जानकारी
वोक्हार्ट हॉस्पिटल के केंद्र
प्रमुख रवी हिरवाणी
ने अपने प्रसिद्धी
पत्रक में कहा
है।
0 comments:
Post a Comment