आप विधायकों को अयोग्य घोषित करने को लेकर नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है : अब पार्टी के सामने केवल कोर्ट में जाने का ही विकल्प बचा
आम
आदमी पार्टी ने चुनाव आयोग
की अनुशंसा आने के बाद राष्ट्रपति
से मिलने की अनुमति मांगी
थी। पार्टी का आरोप था
कि बिना विधायकों का पक्ष सुने
चुनाव आयोग ने अपना फैसला
सुना दिया है। हालांकि इस मुलाकात से
पहले ही राष्ट्रपति ने
विधायकों की सदस्यता रद्द
करने को अपनी मंजूरी
दे दी।
अब आम आदमी पार्टी के सामने केवल कोर्ट में जाने का ही विकल्प बचा है। हाई कोर्ट में इस मामले की सुनवाई सोमवार को होनी है। हाई कोर्ट से राहत नहीं मिली तो आप सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकती है। अगर आप अपने विधायकों की सदस्यता रद्द होने के फैसले को स्वीकार करती है तो अब दूसरा रास्ता उपचुनाव का ही बचता है।
दिल्ली सरकार ने मार्च, २०१५ में 'आप' के २१ विधायकों को संसदीय सचिव बना दिया था। बीजेपी और कांग्रेस ने इस पर सवाल उठाए थे। प्रशांत पटेल नाम के शख्स ने राष्ट्रपति के पास याचिका लगाकर आरोप लगाया था कि ये २१ विधायक लाभ के पद पर हैं, इसलिए इनकी सदस्यता रद होनी चाहिए। दिल्ली सरकार ने दिल्ली असेंबली रिमूवल ऑफ डिस्क्वॉलिफिकेशन ऐक्ट-1997 में संशोधन किया था। इस विधेयक का मकसद संसदीय सचिव के पद को लाभ के पद से छूट दिलाना था, जिसे तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने नामंजूर कर दिया था।
इस मामले में पहले २१ विधायकों की संख्या थी, लेकिन जरनैल सिंह पहले ही पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं ऐसे में विधायकों की संख्या २० ही रह गई थी। इस मामले में राष्ट्रपति ने चुनाव आयोग को जांच कर रिपोर्ट देने को कहा था।
अब आम आदमी पार्टी के सामने केवल कोर्ट में जाने का ही विकल्प बचा है। हाई कोर्ट में इस मामले की सुनवाई सोमवार को होनी है। हाई कोर्ट से राहत नहीं मिली तो आप सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकती है। अगर आप अपने विधायकों की सदस्यता रद्द होने के फैसले को स्वीकार करती है तो अब दूसरा रास्ता उपचुनाव का ही बचता है।
दिल्ली सरकार ने मार्च, २०१५ में 'आप' के २१ विधायकों को संसदीय सचिव बना दिया था। बीजेपी और कांग्रेस ने इस पर सवाल उठाए थे। प्रशांत पटेल नाम के शख्स ने राष्ट्रपति के पास याचिका लगाकर आरोप लगाया था कि ये २१ विधायक लाभ के पद पर हैं, इसलिए इनकी सदस्यता रद होनी चाहिए। दिल्ली सरकार ने दिल्ली असेंबली रिमूवल ऑफ डिस्क्वॉलिफिकेशन ऐक्ट-1997 में संशोधन किया था। इस विधेयक का मकसद संसदीय सचिव के पद को लाभ के पद से छूट दिलाना था, जिसे तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने नामंजूर कर दिया था।
इस मामले में पहले २१ विधायकों की संख्या थी, लेकिन जरनैल सिंह पहले ही पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं ऐसे में विधायकों की संख्या २० ही रह गई थी। इस मामले में राष्ट्रपति ने चुनाव आयोग को जांच कर रिपोर्ट देने को कहा था।
संविधान
के अनुच्छेद 102(1)(A) और 191(1)(A) के अनुसार संसद
या फिर विधानसभा का कोई सदस्य
अगर लाभ के किसी पद
पर होता है तो उसकी
सदस्यता जा सकती है.
यह लाभ का पद केंद्र
और राज्य किसी भी सरकार का
हो सकता है.
ये हैं
आम
आदमी पार्टी के २०
विधायक
१. प्रवीण कुमार, २. शरद कुमार, ३. आदर्श शास्त्री, ४. मदन लाल, ५. चरण गोयल, ६. सरिता सिंह, ७. नरेश यादव, ८. जरनैल सिंह, ९. राजेश गुप्ता, १०. अलका लांबा, ११. नितिन त्यागी, १२. संजीव झा, १३. कैलाश गहलोत, १४. विजेंद्र गर्ग, १५. राजेश ऋषि, १६. अनिल कुमार वाजपेयी, १७. सोम दत्त, १८. सुलबीर सिंह डाला, १९. मनोज कुमार, २०. अवतार सिंह
उपचुनाव की संभावना
आम आदमी पार्टी के २० विधायकों
की सदस्यता समाप्त हो गई हैं और कोर्ट उनकों राहत नहीं देती हैं तब दिल्ही विधानसभा
में इस रिक्त पदों के लिए उपचुनाव हो सकते हैं। २०१९ के अंत में दिल्ही विधानसभा के
सामान्य चुनाव होने हैं।
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