नई दिल्ली
मोदी सरकार अब
आपके फ्लैट, कमरे
का किराया चुका
सकती है। केंद्र
सरकार 100 स्मार्ट सिटीज में
जल्द ही 2700 करोड़
रुपए की नई
कल्याणकारी योजना की शुरुआत
करने जा रही
है, जिसके तहत
शहरी गरीबों को
घर का किराया
चुकाने के लिए
वाउचर्स दिए जाएंगे।
सरकार रेंट वाउचर्स
के साथ नई
रेंटल हाउजिंग पॉलिसी
को गरीबी रेखा
से नीचे वाले
लोगों के लिए
पेश कर सकती
है।
स्मार्ट सिटीज में गरीबों का किराया देने वाली पॉलिसी पर वैसे तो तीन साल से काम चल रहा है, लेकिन इसका पहला कंपोनेंट वित्त वर्ष 2017-18 में लागू किया जा सकता है। स्मार्ट सिटीज में स्कीम को शुरू करने पर हर साल 2,713 करोड़ रुपए की लागत आने की उम्मीद है।
इस स्कीम को अर्बन पूअर यानी शहरों में रहने वाले गरीबों के लिए लिया जा रहा है, जिससे वहां मजदूरी करने के लिए आने वाले लोगों को मदद मिलेगी। रेंट वाउचर्स को शहरी निकायों की मदद से गरीबों में बांटा जाएगा। किरायेदार इन वाउचर्स को मकान मालिक को देगा, जो उसे किसी सिटीजन सर्विस ब्यूरो से अपने अकाउंट में ट्रांसफर करा सकेंगे। अगर रेंट वाउचर की वैल्यू से अधिक होता है तो किरायेदार को उसका भुगतान अपनी जेब से करना होगा। रेंट वाउचर की वैल्यू शहर और कमरे के साइज के हिसाब से निकाय तय करेगा।
स्मार्ट सिटीज में गरीबों का किराया देने वाली पॉलिसी पर वैसे तो तीन साल से काम चल रहा है, लेकिन इसका पहला कंपोनेंट वित्त वर्ष 2017-18 में लागू किया जा सकता है। स्मार्ट सिटीज में स्कीम को शुरू करने पर हर साल 2,713 करोड़ रुपए की लागत आने की उम्मीद है।
इस स्कीम को अर्बन पूअर यानी शहरों में रहने वाले गरीबों के लिए लिया जा रहा है, जिससे वहां मजदूरी करने के लिए आने वाले लोगों को मदद मिलेगी। रेंट वाउचर्स को शहरी निकायों की मदद से गरीबों में बांटा जाएगा। किरायेदार इन वाउचर्स को मकान मालिक को देगा, जो उसे किसी सिटीजन सर्विस ब्यूरो से अपने अकाउंट में ट्रांसफर करा सकेंगे। अगर रेंट वाउचर की वैल्यू से अधिक होता है तो किरायेदार को उसका भुगतान अपनी जेब से करना होगा। रेंट वाउचर की वैल्यू शहर और कमरे के साइज के हिसाब से निकाय तय करेगा।
सरकार इस वाउचर
स्कीम के लिए
डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर (DBT) की
संभावना भी तलाश
रही है। 2011 की
जनगणना के मुताबिक,
शहरों में करीब
27.5 प्रतिशत आबादी किराए के
घरों में रहती
है। हालांकि, नैशनल
सैंपल सर्वे (NSS) के
आंकड़ों के मुताबिक
2009 में शहरों में 35 प्रतिशत
लोग किराए के
घरों में रहते
हैं। इसके अलावा,
NSS से यह बात
भी सामने आई
थी कि यह
रेशियो 1991 के बाद
से इतना ही
बना हुआ है।
आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय के एक अधिकारी ने इकनॉमिक टाइम्स को बताया, 'प्रधानमंत्री की हाउजिंग फॉर ऑल स्कीम के पूरक के तौर पर वाउचर स्कीम को देखा जा रहा है।' केंद्र जब्त की गई बेनामी प्रॉपर्टी का इस्तेमाल किफायती घर बनाने के लिए करेगी। इससे घरों की कमी दूर करने में मदद मिलेगी। एक अधिकारी ने बताया, 'हाल में बेनामी प्रॉपर्टीज ऐक्ट को लागू किया गया है। इससे रेंटल हाउजिंग के लिए एक और रास्ता खुल गया है। इन रूल्स में एक ऐसी शर्त डाली जा सकती है कि जो घर केंद्र सरकार जब्त करेगी, उन्हें नीलाम नहीं किया जाएगा बल्कि उन्हें राज्य सरकारों के जरिये केंद्र मिडल इनकम ग्रुप (MIG), लो इनकम ग्रुप (LIG) और गरीबों को रेंटल हाउजिंग के लिए दे सकता है।' यह फैसला प्रॉपर्टी की लोकेशन और योग्यता के आधार पर लिया जाएगा।
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